खौफनाक लव स्टोरी! जिसने अपनी पूरी स्टारकास्ट की जान ले ली...

- हॉलीवुड बना कब्रिस्तान, चंगेज खान की लव स्टोरी, कमरे में बंद हुए प्रोड्यूसर
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the conqueror

Khari Khari, News Desk: The Conqueror: 1956 में आई हॉलीवुड फिल्म द कॉन्करर मंगोल के शासक चंगेज खान की प्रेम कहानी पर आधारित है। इस फिल्म में दिखाया गया कि चंगेज खान को तातार की राजकुमारी बोरताई से एक तरफा प्यार हो जाता है और वह जबरदस्ती उसे उठा लाता है। तातार के लोग चंगेज खान को बंदी बना लेते हैं लेकिन राजकुमारी बोरताई को चंगेज खान से प्यार हो जाता है और बोरताई उसे छुड़वा देती है। चंगेज खान को शक होता है कि मंगोल में रहने वाला कोई शख्स उसे धोखा दे रहा है और वह उसे ढूंढकर तातार के खिलाफ जंग लड़कर बोरताई को हासिल करता है।

न्यूक्लियर प्लांट के पास शूटिंग का फैसला

The Conqueror (1956)

इस हिस्टोरिकल फिल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले प्रोड्यूसर हॉवर्ड हगीज ने टीम को सेंट जोर्ज यूटा में शूटिंग करने की सलाह दी क्योंकि वहां रेतीली जमीन थी। यह जगह यूका फ्लैट एरिया और नेवादा नेशनल सिक्योरिटी साइट से 220 किलोमीटर की दूरी पर थी जहां परमाणु बम के कई परीक्षण किए गए थे।

मेकर्स का कास्ट एंड क्रू को झूठा आश्वासन

सभी जानते थे कि न्यूक्लियर टेस्टिंग से रेडिएशन का खतरा बढ़ा हुआ है जिससे प्लांट के आसपास काम करने वाले लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ चुके थे। कास्ट को जब पता चला कि उसी जगह शूटिंग होगी तो सभी ने इसका विरोध किया। मेकर्स ने आश्वासन दिया किजहाँ शूटिंग होनी है वो जगह पूरी तरह सुरक्षित है। आश्वासन मिलने के बाद 220 कास्ट और क्रू मेंबर्स शूटिंग के लिए राजी हो गए। 1954 पूरी टीम 13 हफ्तों तक न्यूक्लियर प्लांट के पास बसे स्नो केनन, पाइन वैली, लीड्स और हैरिसबर्ग में काम करती रही।

कई सीन करने वक़्त एक्टर्स धूल में लोट-पोट

The Conqueror — The Appalachian Theatre of the High Country

फिल्म का क्लाइमैक्स एक्शन सीन स्नो वैली में शूट किया गया था। न्यूक्लियर टेस्ट की जहरीली मिट्टी यहां सेट हो चुकी थी। जब टीम शूटिंग करने पहुंची तो जमीन में मिट्टी ठहरी हुई थी एक्शन सीन को रियल और ड्रामेटिक दिखाने के लिए प्रोडक्शन वालों ने बड़े पंखों का इस्तेमाल किया जिससे मिट्टी उड़ने लगी थी। फाइट सीन में भीड़ के चलते भी खूब जहरीली धूल उड़ी जिसके बीच कास्ट ने शूटिंग की। कई सीन करने वक़्त एक्टर्स धूल में लोट-पोट हो गए थे जिससे उनके शरीर में जानलेवा जहरीली धूल गई। कई दिनों तक एक्शन सीन की शूटिंग हुई जहां सभी कास्ट और क्रू के लोगों ने जहरीली धूल के बीच सांस ली।

खाने में भी जानलेवा धूल

13 हफ्तों तक कास्ट और क्रू की टीम उसी जहरीली रेतीली जगह में ठहरी रही और रोजाना शूटिंग करती थी। खुले मैदान में कैटरिंग की वजह से धूल सीधे खाने में जाती थी जिसमें धूल की परत होती थी। 

60 टन जहरीली रेत हॉलीवुड ले आये थे प्रोड्यूसर हॉवर्ड

FILM】THE CONQUEROR 降魔大师 - YouTube

न्यूक्लियर प्लांट के पास शूटिंग पूरी होने पर पूरी टीम बचे हुए शेड्यूल के लिए US वापस आ गई। प्रोड्यूसर हावर्ड हगीज को डर था कि कहीं क्लाइमैक्स एक्शन सीन के कुछ शॉट को दोबारा फिल्माना पड़ेगा इसलिए वो 60 टन रेडियोएक्टिव जहरीली रेत शिप करवाकर हॉलीवुड ले आए और बचे हुए सीन में इस्तेमाल किया। चंद सालों बाद इस बड़ी लापरवाही का जानलेवा अंजाम सामने आया।

फिल्म रिलीज होने के बाद 220 में से 91 लोगों को कैंसर, 46 की मौत

सबसे पहले डायरेक्टर पॉवेल डिक की कैंसर से मौत

फिल्म रिलीज होने के 7 साल बाद जनवरी 1963 को डायरेक्टर पॉवेल डिक की मौत हो गई और मौत का कारण कैंसर था। उनका बेटा नोर्मन भी शूटिंग में पिता की मदद करते थे। कैंसर से उनकी पत्नी और उनकी पोती की भी मौत हो गई थी।

कैंसर के फाइनल स्टेज में  गोली मारकर हत्या 

Was "The Conqueror" filmed on a nuclear test site? | HowStuffWorks

1960 में लीड एक्टर्स में से एक पेड्रो आर्मेनडारिज को किडनी का कैंसर हुआ। तीन साल बाद 1963 में जब डायरेक्टर की कैंसर से मौत हुई तब पेड्रो काफी डर गए। गले के कैंसर के बाद इन्हें किडनी कैंसर हो गया। पेड्रो की हालत इतनी बिगड़ गई कि वो अपनी बीमारी से परेशान रहने लगे। एक दिन अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने एक गन स्मग्लिंग के जरिए अस्पताल में मंगवाकर छाती में गोली मारकर हत्या कर ली।

लीड रोल पर रही एक्ट्रेस दर्दनाक मौत

फिल्म में लीड रोल पर रही अमेरिका की पॉपुलर एक्ट्रेस सुजैन हेवर्ड को 1972 में लंग कैंसर हो गया। एक साल तक लंग कैंसर का इलाज चलने के बाद इन्हें दौरे पड़ने लगे। 1973 में सुजैन को ब्रैन कैंसर भी हो गया जो लाइलाज था और 4 मार्च 1975 को सुजैन को दौरे पड़ने की वजह से घर में ही मौत हो गई।

कई एक्टर्स की कैंसर से मौत

John Wayne – The Conqueror (1956) « Celebrity Gossip and Movie News

1991 में कैरेक्टर रोल निभाने वाले जॉन ह्योट की भी लंग कैंसर से मौत हो गयी।
ली वैन क्लीफ को दिल की बीमारी थी। दिल की बीमारी से जूझ रहे एक्टर को गले का कैंसर होने से उनकी 64 साल की उम्र में 1986 में मौत हो गई। छोटा सा रोल निभाने वाले मिशेल वेन को भी मुंह का कैंसर होने से जान चली गयी।

दोगुना कमाई के बाद भी प्रोड्यूसर को रहा ताउम्र पछतावा

फिल्म बजट से दोगुना कमाई करने के बाद भी बड़ी फ्लॉप समझी गई जिससे प्रोड्यूसर निराश थे। एक्टर्स और फिल्म से जुड़े लोगों को कैंसर होने की बात सामने आने पर प्रोड्यूसर खुद को इसका जिम्मेदार मैंने लगे। 6 मिलियन डॉलर में बनी फिल्म को उन्होंने दोगुनी कीमत 12 मिलियन डॉलर (98 करोड़ रुपए) में सारी प्रिंट खरीदकर फिल्म द कॉन्करर को कहीं न दिखाने का फैसला लिया। 

मरते दम तक देखते रहे फिल्म 

प्रोड्यूसर हावर्ड ने खुद को एक घर में बंद कर लिया और उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी। हावर्ड रोजाना सोने से पहले ये फिल्म जरूर देखते थे आखिरी समय भी हावर्ड का फिल्म देखते हुए बीता। उनकी मौत एक सफर के दौरान हुई। पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ कि हावर्ड की किडनी फेल हो गई थी। उनके शरीर में ड्रग के कई इंजेक्शन की निडल मिलीं जो ड्रग लेते हुए अंदर ही टूट गयी थीं।

21 सालों तक भी किसी ने नहीं देखी थी फिल्म

डायरेक्टर हगीज की मौत के 3 साल बाद यूनिवर्सल पिक्चर्स ने फिल्म द कॉन्करर के राइट्स खरीद लिए। इस फिल्म और कास्ट क्रू की मौत से लोग इतना दहशत में थे कि 21 सालों तक किसी ने फिल्म नहीं देखी।

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