Brij Bhushan Sharan Singh : भीषण करैक्टर की शख्सियत के दिलों दिमाग में नहीं किसी का खौफ
Khari Khari, News Desk: Brij Bhushan Sharan Singh : उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के एक कांग्रेसी नेता थे चंद्रभान शरण सिंह। उन्हीं के परिवार में 1957 में बृजभूषण शरण सिंह का जन्म हुआ। बृजभूषण कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में हिस्सा लिया करते थे। सत्तर के बृजभूषण दशक में के.एस. साकेत महाविद्यालय, अयोध्या में महामंत्री बने। छात्र राजनीति के दौरान उन्होंने कॉलेज के किसी मामले में हैंडग्रेनेड चला दिया था जिसके बाद से उनका नाम उछला और फिर वो राजनीति में आगे बढ़ते चले गए।
SP पर पिस्टल तानकर दी 200 गालियां
1987 में जिले के गन्ना डायरेक्टरी के चुनाव में बृजभूषण ने पर्चा भर दिया। SP ने बृजभूषण को बुलाकर गाली देते हुए नामांकन वापस लेने की धमकी दी। बृजभूषण ने एक इंटरव्यू में बताया कि ‘मैंने SP पर पिस्टल तानकर उसे 200 गालियां दी। स्थानीय पत्रकार हनुमान सिंह सुधाकर वहीं मौजूद थे।
बाबरी मस्जिद मामले में बृजभूषण भी शामिल
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी सहित जो 40 लोग आरोपी थे उनमें बृजभूषण शरण सिंह भी शामिल थे। एक इंटरव्यू में बृजभूषण ने बताया कि ‘जब कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद पर हमला किया तो किसी के पास कोई हथियार मौजूद नहीं था। पास में कृष्णा गोयल का काम चल रहा था। हमने स्टोर रूम तोड़कर कारसेवकों तक गैती फरुआ पहुंचाया। हमने गिराया नहीं लेकिन हम रात 10 बजे तक वहीं थे।
पत्नी केतकी सिंह ने 80,000 वोटों से कांग्रेस को हराया
छात्र राजनीति और जन्मभूमि आंदोलन के चलते बृजभूषण काफी लोकप्रिय हो चुके थे। BJP ने जब 1991 में बृजभूषण सिंह को लोकसभा टिकट दिया तब उनके खिलाफ 34 आपराधिक मामले दर्ज थे। BJP ने सिंह को गोंडा का रॉबिनहुड कहकर बचाव किया। बड़े अंतर के साथ उन्होंने चुनाव जीते। 1996 में बृजभूषण सिंह टाडा के तिहाड़ जेल में सजा के दौरान उनकी पत्नी केतकी सिंह ने गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। उनकी पत्नी केतकी सिंह ने कांग्रेस के आनंद सिंह को 80,000 वोटों से हराया।
मायावती और संघ के बड़े नेताओं से पंगे
एक इंटरव्यू के दौरान बृजभूषण ने बताया ‘मायावती का गोंडा में एक कार्यक्रम था। उन्होंने गोंडा का नाम बदलकर लोकनायक जयप्रकाश नगर करने की अनाउंसमेंट की। मैं उस दौरान मायावती से भिड़ गया और आंदोलन खड़ा किया। मैंने अटल जी को बताया और उनके एक फोन पर जिले का नाम रोक दिया गया। ये नामकरण संघ के बड़े नेता नाना जी ने करवाया था फिर मेरा संघ में विरोध शुरू हुआ।
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