आढ़ती, किसान, कामगार विरोधी गठबंधन सरकार : कुमारी सैलजा
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Haryana News : अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पूरी तरह से आढ़ती, किसान व कामगार की विरोधी है। इन तीनों वर्गों को परेशान करने के लिए बार-बार कोई न कोई नया हथकंडा तलाशना प्रदेश सरकार की आदत में शुमार हो चुका है। किसानों को एमएसपी व फसल बीमा के क्लेम दिलाने में विफल रहने वाली सरकार आढ़तियों का कमीशन रोके हुए है, जबकि कामगारों की मजदूरी भी जारी नहीं कर रही।
आढ़तियों का कमीशन रोक दिया, कामगार की मजदूरी
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद 15 मई को बंद हो चुकी है। एक महीने से भी ज्यादा समय बीतने के बावजूद आढ़ती अपने कमीशन के लिए सरकार की ओर टकटकी लगाए हुए हैं, तो गेहूं झारने से लेकर इसकी लोडिंग-अनलोडिंग करवाने में पसीना बहाने वाले कामगारों की आंखें मजदूरी मिलने की आस में पथराने लगी हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार की ओर 35 हजार से अधिक आढ़तियों के 86 करोड़ रुपये से अधिक और दो लाख से अधिक कामगारों के 55 करोड़ रुपये बकाया है। प्रदेश सरकार से जब-जब यह राशि मांगी गई तो कहा गया कि गेहूं खरीद खत्म होते ही भुगतान कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब सभी आढ़तियों व कामगारों को 48 घंटे के अंदर उनकी बकाया राशि का ब्याज सहित भुगतान किया जाना चाहिए, ताकि उनके घरों के चूल्हे जलना बंद न हों।
किसानों को न एमएसपी मिल रहा, न ही फसल बीमा
कुमारी सैलजा ने कहा कि दूसरी तरफ किसानों को अभी तक सूरजमुखी की फसल पर एमएसपी नहीं मिल पाया है। जबकि, वे इसके लिए आंदोलन भी कर चुके हैं। दो साल से किसानों को फसल बीमा के तहत खराबे का क्लेम भी नहीं मिल पाया है। इसके लिए वे लगातार संघर्ष कर रहे हैं। हिसार में पक्का मोर्चा लगाया हुआ है तो उत्तर हरियाणा का किसान भी बार-बार धरने प्रदर्शन कर चुका है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आढ़ती, किसान व कामगार को परेशान करने के पीछे भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार का मकसद कृषि व्यवसाय को खत्म करना है।
सरकार चाहती है कि इन वर्गों को लगातार परेशान किया जाए, ताकि कृषि से इनका मोह भंग हो और फिर कृषि के इस बड़े क्षेत्र में केंद्र सरकार के दोस्त बडे़ उद्यमियों की एंट्री कराई जा सके। कुमारी सैलजा ने कहा कि तीन काले कृषि कानून भी केंद्र सरकार इसलिए ही लेकर आई थी। लेकिन, विरोध के बाद उन्हें वापस लेना पड़ा तो अब नए-नए तरीके खोज कर किसान, आढ़ती व कामगारों को परेशान किया जा रहा है।
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