World Braille Day 2022: नेत्रहीन होने के बाद भी नहीं मानी हार फिर रचा इतिहास

16 की उम्र में बनाई थी ब्रेल लिपि
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World Braille Day 2022

Khari Khari, News Desk: World Braille Day 2022: आज जब लोगों से पूछा जाता है कि नेत्रहीन लोग किस लिपि में लिख या पढ़ सकते हैं तो उसे ब्रेल लिपि (Braille Script) कहते हैं। एक समय ऐसा था जब इसकी कल्पना करना तक संभव नहीं था। लिपि बनने के सौ साल तक इसे स्वीकार नहीं किया गया। इसका आविष्कार लुईस ब्रेल (Luis Braille) ने किया था तभी से हर साल उनके जन्मदिन पर चार जनवरी को उनके सम्मान के लिए विश्व ब्रेल दिवस (World Braille Day 2023) मनाया जाता है। 

 ब्रेल लिपि क्या है

ब्रेल एक तरह का कोड है। इसे भाषा के तौर पर देखा जाता है। इसमें उभरे हुए 6 बिंदुओं की तीन पंक्तियों में एक कोड बनाया जाता है। इसमें पूरे सिस्टम का कोड छिपा होता है।अब कंप्यूटर में भी  ये तकनीक उपयोग में लाई जाती है जिसमें गोल व उभरे हुए बिंदु होते हैं। नेत्रहीन लोग भी अब तकनीकी रूप से काम करने के योग्य हो गए है। 

लुईस ब्रेल का बचपन का संघर्ष 

लुईस ब्रेल का जन्म फ्रांस के कुप्रे गांव में 4 जनवरी 1809 में हुआ था। मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे लुईस के पिता साइमन रेले ब्रेल शाही घोड़ों के लिए काठी और जीन बनाने का काम किया करते थे। उनके परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। जिसकी वजह से लुईस को अपने पिता के काम में सहयोग करना पड़ा। 

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खेलते समय आंख में घुस गया था चाकू

लुईस ब्रेल खिलौने से खेलने की उम्र में खिलौनों की जगह आसपास की उपलब्ध चीजों से खेला करते थे जिसमें लकड़ी, रस्सी, घोड़े की नाल, लोहे के औजार शामिल थे। एक दिन खेलते - खेलते उनकी एक आंख में चाकू घुस गया जिससे उनकी आंख खराब हो गई। धीरे धीरे उनकी दूसरी आंख की रोशनी भी चली गयी और 8 साल की उम्र में लुईस पूरी तरह से नेत्रहीन हो गए। 

मन में उम्मीद की किरण जागी

लुईस 12 साल के थे तब उन्हें पता चला कि सेना के लिए एक खास कूटलिपि बनी है जिससे अंधेरे में भी संदेश पढ़े जा सकते हैं। यह सुनकर लुई के मन में उम्मीद की किरण जागी कि इस तरह की लिपि नेत्रहीनों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। 

8 साल की मेहनत के बाद भी नहीं मिली लिपि को मान्यता

लुईस ने अपने स्कूल के पादरी से मिलकर उस कूटलिपि को विकसित करने वाले कैप्टन चार्ल्स बार्बर से मिले और नेत्रहीनों के लिए लिपि विकसित करने का काम शुरू हो गया। 8 साल की कड़ा मेहनत के बाद 1829 तक उनकी छह बिंदुओं पर आधारित लिपि तैयार हुई लेकिन उनकी लिपि को मान्यता नहीं मिली। 

मौत के सौ साल बाद मिली मान्यता

लुईस ब्रेल की लिपि को मान्यता मिलने के लिए बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा। ब्रेल लिपि को शिक्षाविदों ने स्वीकार नहीं किया। नेत्रहीनों में यह लिपि धीरे-धीरे लोकप्रिय हुई। उनकी मौत के सौ साल बाद उनकी भाषा को मान्यता मिली। 

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