Rajasthan Politics News : पायलट और गहलोत के बीच हुआ युद्ध विराम, अब अपनी सरकार के खिलाफ आंदोलन नहीं करेंगे पायलट, फैसला हाईकमान पर छोड़ा

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Rajasthan Politics News : राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह-समझौते के लिए सोमवार को दिल्ली में बैठक हुई। जिस के बाद राजस्थान में चल रही लीडरशिप की लड़ाई के बीच, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पूर्व डिप्टी सचिन पायलट ने आगामी विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ने पर सहमति जताई है और पार्टी आलाकमान द्वारा हल किए जाने वाले सभी मुद्दों को छोड़ दिया है। पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के लीडरशिप में कांग्रेस नेतृत्व ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मैराथन चर्चा की और पायलट शाम को उनके साथ शामिल हुए।
जानकारी के मुताबिक, लंबे अंतराल के बाद यह पहली बार था जब राजस्थान के मुख्यमंत्री और उनके पूर्व डिप्टी पार्टी के टॉप लीडरशिप की उपस्थिति में आमने-सामने मिले। खड़गे और गांधी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति तैयार करने और भाजपा को घेरने के लिए चुनावी राज्यों के नेताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं। पार्टी लीडरशिप विधानसभा चुनावों से पहले राजस्थान इकाई में अंदरूनी कलह को दूर करने और दोनों नेताओं के बीच मतभेदों को दूर करने के लिए भी कड़ी मेहनत कर रहा है।
यह बैठक पायलट के "अल्टीमेटम" के बाद हुई है कि यदि इस महीने के अंत तक राज्य सरकार से की गई उनकी तीन मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो वह राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। पायलट की मांगों में से एक वसुंधरा राजे सरकार के दौरान घोटालों की उच्च स्तरीय जांच शुरू करना था। जानकारी के मुताबिक, मैराथन बैठक में पायलट मुद्दे के समाधान का क्या फॉर्मूला तय किया गया, इसे उजागर नहीं किया गया। पायलट का अल्टीमेटम 30 मई को खत्म हो रहा था, ऐसे में माना जा रहा है कि हाईकमान ने इस मुद्दे पर निर्णायक हल जरूर निकाला होगा और पायलट को ठोस आश्वासन जरूर मिला होगा।
दोनों से अलग अलग भी बैठक हुई। बाद में संगठन महासचिव केसी वेणुगापोल ने दोनों नेताओं को लाकर एकजुटता से साथ चुनाव लड़ने की घोषणा की। पायलट की तीन मांगों से लेकर पायलट की सियासी भूमिका तक पर कोई फार्मूला सार्वजनिक नहीं किया है। मीटिंग के बाद कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा- दोनों नेता एक साथ मिलकर एकजुटता के साथ इस साल होने वाला राजस्थान विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। दोनों ने फैसला हाईकमान पर छोड़ दिया है। राजस्थान में कांग्रेस मजबूत है।
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