Super Blue Moon : इस बार पूर्णिमा है बेहद खास, आज सावन पूर्णिमा पर आसमान में अपनी चमक बिखेरता नजर आएगा 'सुपर ब्लू मून', भारत में कब दिखेगा अद्भुत नजारा, जानें समय
Khari Khari News :
Super Blue Moon : दुनिया भर में एक दिव्य उपहार का बड़ी बेसब्री से इंतजार किया जा रहा हैं, जी हां क्योंकि 'ब्लू मून' नामक एक रेयर घटना आज रात आकाश को रोशन करने के लिए तैयार है। 30 अगस्त को चांद बेहद खास अंदाज में दिखाई देने वाला है। आज फुल मून, सुपरमून और ब्लू मून एक साथ दिखाई देगा जिसे सुपर ब्लू मून कहा जाता है। जानकारी के मुताबिक, सुपर ब्लू मून 2-3 साल में एक बार दिखाई देता है। जब सुपर ब्लू मून आकाश में दिखाई देता है तो आकाश में चांद बेहद सुंदर दिखाई देता है। इस घटना के दौरान चंद्रमा थोड़ा बड़ा और चमकीला दिखाई देने की उम्मीद है। इस बार यह खगोलीय घटना अधिक महत्व रखती है क्योंकि चंद्रमा शनि ग्रह के करीब आ रहा है।
जानकारी के मुताबिक, 2023 में चार सुपरमून घटनाएं निर्धारित थीं, जिनमें से पहली 3 जुलाई को और दूसरी 1 अगस्त को हुई थी। तीसरी 30 अगस्त को होगी जबकि अंतिम घटना 28 सितंबर को होगी। खगोलीय रूप से, सुपर ब्लू मून घटना तब घटित होती है जब चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी के सबसे करीब होती है और उसी समय चंद्रमा पूर्ण होता है। नासा के मुताबिक, 30 अगस्त की रात 9:36 बजे पर चंद्रमा अपनी चरम रोशनी पर पहुंच जाएगा।
यह बताया गया है कि 30 अगस्त को सुपर मून, क्रम में तीसरा, पृथ्वी के सबसे करीब होगा और इस वर्ष के सभी पूर्ण सुपर मूनों में सबसे बड़ा होगा, इसकी तुलना में पृथ्वी से 222,043 मील (357,344 किमी) दूर होगा। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच औसत 240,000 मील (386,242 किमी) की दूरी है, इसलिए पूर्णिमा औसत से बड़ा दिखाई देगा, और इस प्रकार इसे सुपर मून का नाम दिया जाएगा। अमेजिंग रूप से, "ब्लू मून" शब्द का चंद्रमा के रंग से कोई संबंध नहीं है, इसके बजाय, यह एक ही कैलेंडर माह के भीतर दो पूर्ण चंद्रमाओं की घटना को विषय करता है।
'सुपरमून'
पृथ्वी के चारों ओर चांद एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है। इसलिए पृथ्वी और चांद के बीच की दूरी हर दिन बदलती रहती है। जब चांद पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होता है तो उसे एपोजी (Apogee) कहते हैं। जब चांद पृथ्वी के सबसे करीब होता है तो, उसे पेरिजी (Perigee) कहते हैं। जब चांद पेरिजी यानी धरती के सबसे करीब हो और पूर्णिमा पड़ जाए, उसे ही सुपरमून कहा जाता है। 1979 में एस्ट्रोलॉजर रिचर्ड नोल ने पहली बार ‘सुपरमून’ शब्द का इस्तेमाल किया था। सुपरमून के वक्त धरती से चांद 14% ज्यादा बड़ा और 30% ज्यादा चमकदार दिखाई देता है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि चांद की ना ही साइज बदलती है और ना ही चमक। पर उस दिन वह धरती के पास होता है तो उसके बड़े और चमकदार होने का एहसास होता है।
‘ब्लू मून’
चांद की एक साइकिल 29.5 दिन की होती है। जब किसी एक कैलेंडर मंथ में दो बार पूर्णिमा पड़ जाए तो इसे ही ‘ब्लू मून’ कहा जाता है। जैसे- अगस्त 2023 में 1 तारीख को पूर्णिमा थी, अब 30 अगस्त को दूसरी पूर्णिमा पड़ रही है इसलिए इसे ब्लू मून कहा जा रहा है। आम तौर पर ऐसा हर 2 से 3 साल में एक बार होता है। 30 अगस्त को फुल मून, सुपरमून और ब्लू मून तीनों पड़ रहे हैं, इसलिए इसे ‘सुपर ब्लू मून’ कहा जा रहा है।
सुपर ब्लू मून
ब्लू मून शब्द का चांद के कलर से कोई लेना-देना नहीं है। साल 1940 से ये चलन शुरू हुआ कि अगर एक ही महीने में दो फुल मून यानी पूर्णिमा पड़ती है तो दूसरे फुल मून को ब्लू मून कहा जाएगा। चूंकि इसी दिन सुपरमून भी है तो इस दिन चांद बड़ा और चमकदार दिखाई देगा, लेकिन नीला नहीं।
भारत में ब्लू मून कब
भारत में, ब्लू मून की अधिकतम चमक रात लगभग 9:30 बजे पहुंचने की उम्मीद है, ‘सुपर ब्लू मून आज सूर्यास्त के ठीक बाद शाम 8.37 बजे सुपरमून अपनी सबसे ज्यादा चमक पर पहुंचेगा। हालांकि आज चांद शाम 6:35 बजे से दिखना शुरू हो जाएगा। चंद्रमा आज, 30 अगस्त को रात 9:36 बजे पर सूर्य के विपरीत होगा। ब्लू मून इसके बाद गुरुवार 31 अगस्त को सुबह सूरज उगने से ठीक पहले लगभग 4:42 बजे अस्त हो जाएगा।
यह एक दुर्लभ घटना है क्योंकि सभी पूर्ण चंद्रमाओं में से 25 प्रतिशत सुपरमून होते हैं, लेकिन केवल 3 प्रतिशत पूर्ण चंद्रमा ब्लू मून होते हैं। एक अन्य कारण जो इस घटना को दुर्लभ बनाता है वह यह है कि लगातार दो सुपर ब्लू मून के बीच का समय 20 वर्ष तक हो सकता है। नासा का कहना है कि अगले सुपर ब्लू मून जनवरी और मार्च 2037 में एक जोड़ी में नज़र आएंगे।
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