रिश्वत कांड से Karnataka में मचा घमासान
Khari Khari, News Desk: Karnataka: दक्षिण भारत में कर्नाटक इकलौता ऐसा राज्य है जहां BJP सत्ता में है। अप्रैल-मई में यहां विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। सरकारी करप्शन का मुद्दा एक बार फिर सामने आया है जो BJP के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है क्योंकि विधायकों और मंत्रियों पर आरोप है। इस करप्शन सिंडिकेट के खिलाफ राज्य के कॉन्ट्रैक्टर 18 जनवरी को बेंगलुरू में बड़ा प्रदर्शन करने जा रहे हैं।
40% तक देनी पड़ती है रिश्वत
पिछले 8-10 महीनों से कर्नाटक में रिश्वत और सरकारी सिस्टम में करप्शन एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। 16 जनवरी को स्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि सरकारी प्रोजेक्ट्स के लिए अधिकारियों-मंत्रियों और विधायकों को 40% तक रिश्वत देनी पड़ती है।
कर्नाटक कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डी केम्पन्ना से इस बारे में बात की। उन्होंने बताया कि सच उजागर करने के बाद कई लोगों को धमकियां मिल रही हैं। पूछा गया कि रिश्वत कौन और कैसे लेता है तो बोले- 'रिश्वत तो कांग्रेस के जमाने में भी देनी पड़ती थी। इससे पार्टी का लेना-देना नहीं पहले 5 से 10% रिश्वत ली जाती थी। 2019 से ये अमाउंट बढ़कर 40% तक पहुंच गया है।
BJP विधायक टिप्पा रेड्डी को 90 लाख रुपए की रिश्वत
कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन के वर्किंग प्रेसिडेंट मंजूनाथ ने आरोप लगाया कि उन्होंने BJP विधायक टिप्पा रेड्डी को 90 लाख रुपए रिश्वत दी है। मंजूनाथ ने बताया- इलाके में करप्शन की शुरूआत टिप्पा रेड्डी से ही हुई। इसके ऑडियो और वॉट्सऐप हिस्ट्री भी हमारे पास मौजूद है। आज कर्नाटक पूरे देश में सबसे ज्यादा भ्रष्ट राज्य बन चूका है।
ईश्वरप्पा मेरी मौत के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें सजा जरूर मिलनी चाहिए। सभी इच्छाओं को छोड़कर मैंने ये कदम उठाने का मन बनाया। मेरी PM, CM और येदियुरप्पा से गुजारिश है कि वे मेरे परिवार का ख्याल रखें।
संतोष पाटिल का हत्या से पहले दोस्तों को मैसेज
ये वॉट्सऐप मैसेज सिविल कॉन्ट्रैक्टर संतोष पाटिल ने हत्या से पहले अपने दोस्तों को भेजा था। संतोष ने 11 अप्रैल 2022 को जान दे दी थी। इसी से खुलासा हुआ कि कर्नाटक में पेमेंट से पहले बिल पास करने के लिए 40% तक रिश्वत देनी पड़ती है।
संतोष पाटिल ने हत्या से पहले कई बार BJP के सीनियर नेता, ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री रहे ईश्वरप्पा को भ्रष्ट बताया था। उन्होंने इसकी शिकायत PM नरेंद्र मोदी से भी की थी। बाद में ईश्वरप्पा के खिलाफ FIR हुई और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
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