Parenting Tips: टीन-एज बच्चों के गुस्से को कैसे करें मैनेज, पेरेंट्स को जरूर पता होने चाहिए ये टिप्स

- बच्चों के गुस्से के लिए अपनाएं ये टिप्स
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Khari Khari, News Desk(Neha Dhiman): Parenting Tips: जब बच्चे अपने बचपने से युवावस्था की तरफ बढ़ रहे होते हैं. जीवनशैली सोच से लेकर उनके शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं. इस उम्र में पढ़ाई, दोस्ती, परिवार सब बदल जाता है. अक्सर देखा जाता है कि इस उम्र के बच्चों के अभ‍िभावक बच्चों में गुस्से की प्रवृत्त‍ि को समझ नहीं पाते और न ही उनके गुस्से को मैनेज कर पाते है. अक्सर बड़ों और बच्चों में दूरियां आ जाती है. आइए विशेषज्ञ से जानते हैं कि कैसे टीनएज के गुस्से को समझने और कंट्रोल करने का तरीका... 

हार्मोनल बदलने की वजह से किशोर हो रहे बच्चे स्वीकार करने में झिझकते हैं. उन्हें घर के लोग न बच्चों में गिनते हैं और न ही पूरी तरह युवा और समझदार व्यक्त‍ि के तौर पर ऐसे में उनमे नाराजगी और चिड़चिड़ाहट आ जाता है.  

इस उम्र में दोस्तों की खास जगह 

इस उम्र में बच्चों में अलग तरह का सामाजिक बदलाव आता है. इस उम्र में कई बच्चों के लिए उनके दोस्त उनके टीचर और माता पिता से ज्यादा खास बन जाते हैं. बच्चे अपने टीचर और माता पिता से भी बहस करने लगते है. 

पेरेंट्स का व्यवहार है ज़िम्मेवार  

यदि पेरेंट्स बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करते हैं तो बच्चों में एंगर मैनेज करना आसान हो जाता है. इस उम्र में बच्चों के दोस्त से लेकर वो सोशल मीडिया पर वो क्या देखते हैं. उनके आदर्श कौन हैं वो क‍िस तरह की फिल्में  देख रहे हैं, इन सब सवालों का जवाब माता पिता के लिए जानना जरूरी होता है. 

एंगर मैनेजमेंट को कैसे करें हैंडल 

इस उम्र में बच्चे इतना ज्यादा नाराज हो जाते है कि सामान की तोड़फोड़ करता है, या पेरेंट्स के साथ बुरा व्यवहार करते है. ऐसे मामलों में हम अच्छे रिजल्ट के लिए काउंसिलिंग प्रक्र‍िया का सहारा लेते हैं. साल 2004 से 2009 में हुए कई अध्ययनों में देखा गया है कि ऐसे मामलों में थेरेपीज काफी कारगर सिद्ध हुई हैं. 

बच्चों के गुस्से के लिए अपनाएं ये टिप्स 

  • टीन एज बच्चे में बदलाव आने लगा है जिसकी वजह से वह क्रोध कर रहा है तो सबसे पहले उसके आसपास के माहौल को समझें. 
  • बच्चे के साथ सहज ढंग से बात करना, उनके साथ वक्त बिताना शुरू करें. 
  • बच्चे के हर काम में टोकाटाकी न करें. बच्चे के ड‍िसिजन में उसका साथ दें, हर वक्त बच्चे की निगरानी न करें. 
  • यदि आपके बच्चे की दोस्ती सही बच्चों के साथ नहीं है तो इसे धीरे धीरे काउंसिलिंग के जरिये समझा सकते हैं. 
  • बच्चे को सामाजिक व्यवहार से जुड़े विषयों की किताबें, सामाजिक उद्देश्यों पर बनीं फिल्में चुनने में उसकी मदद करें. उस पर अपनी पसंद न थोपे. उसे उसकी पसंदीदा किताब पढ़ने दें.  

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