Good News: कार चालकों के लिए खुशखबरी!
Khari Khari, News Desk: Good News: आने वाले 1-2 सालों में फ्यूल की कीमत 60-62 रुपए प्रति लीटर तक हो सकती है। फ़िलहाल पेट्रोल की कीमत 108 रुपए के आसपास है। दुनियाभर की सरकारें पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से होने वाले एयर पॉल्यूशन को रोकने और फ्यूल के दाम कम करने के लिए एथनॉल ब्लेंडेड फ्यूल पर काम कर रही हैं। भारत में भी एथेनॉल का विकल्प देखा जा रहा है। इससे गाड़ियों का माइलेज भी बढ़ेगा।
फ्यूल पॉलिसी को 22 अप्रैल से किया जाएगा लागू
देश में 2008 में 5% एथेनॉल का प्रयोग करना शुरू किया था जो अब 10% तक पहुंच गया है। सरकार नेशनल बायो फ्यूल पॉलिसी को लागू कर 22 अप्रैल से ई-20 (20% एथेनॉल + 80% पेट्रोल) से ई-80 (80% एथेनॉल + 20% पेट्रोल) पर प्रोसेस शुरू करने वाली है। अप्रैल से सिर्फ फ्लेक्स फ्यूल कंप्लाइंट गाड़ियां ही बेची जाएगी और पुरानी गाड़ियां एथेनॉल कंप्लाएंट व्हीकल में चेंज की जा सकेंगी।
ब्राजील में पहले से फ्लेक्स फ्यूल टेक्नोलॉजी
ऑटो एक्सपो के उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है 'मैं फ्लेक्स फ्यूल के लिए 2004 से सपना देख रहा हूं। ब्राजील में पहले से फ्लेक्स फ्यूल टेक्नोलॉजी है। ऑटो एक्सपो 2023 में एथेनॉल पवेलियन बनाया गया। ऑटो एक्सपो में भविष्य में फ्लेक्स फ्यूल से चलने वाली गाड़ियों की झलक देखने को मिली।
एथेनॉल क्या होता है?
एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल होता है जो स्टार्च और शुगर के फर्मेंटेशन से बनाया जाता है। इसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में इको-फ्रैंडली फ्यूल की तरह उपयोग में लाया जाता है। इसका उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने के रस से होता है लेकिन स्टार्च कॉन्टेनिंग मटेरियल्स जैसे मक्का, सड़े आलू, कसावा और सड़ी सब्जियों से भी एथेनॉल तैयार हो सकता है।
1G एथेनॉल : फर्स्ट जनरेशन एथेनॉल गन्ने के रस, मीठे चुकंदर, सड़े आलू, मीठा ज्वार और मक्का से बनता है।
2G एथेनॉल : सेकंड जनरेशन एथेनॉल सेल्युलोज और लिग्नोसेल्यूलोसिक मटेरियल जैसे - चावल की भूसी, गेहूं की भूसी, कॉर्नकॉब (भुट्टा), बांस और वुडी बायोमास से बनता है।
3G बायोफ्यूल : थर्ड जनरेशन बायोफ्यूल को एलगी से बनाया जाएगा। इस बायोफ्यूल पर अभी काम चल रहा है।
एथेनॉल से मिलने वाला फायदा
पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। इसके उपयोग से गाड़ियां 35% कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करती है। सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन भी एथेनॉल कम करता है। सालाना जितना कार्बन का उत्सर्जन 63 हजार कारें करती हैं। कार्बन रेडिएशन करीब 320 किलोमेट्रिक टन को बचाता है।
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