Haryana Farmers Protest : हरियाणा में MSP के लिए आंदोलन हुआ तेज, राकेश टिकैत ने शाहबाद धरने पर लिया मोर्चा- चढूनी की रिहाई की मांग और MSP शर्त पर जोर
Khari Khari News :
Haryana Farmers Protest : हरियाणा में हर जिले से किसान सड़कों पर उतरना शुरू हो चुके हैं। MSP की मांग एक फिर तेज हो गई है। NH 44 को बंद करने के आरोप में गुरनाम सिंह चढ़ूनी और कई अन्य यूनियन नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में BKU के कार्यकर्ताओं ने शाहाबाद के लाडवा रोड पर धरना शुरू कर रखा है। कल शाहाबाद में किसानो पर हुए लाठी चार्ज के विरोध में किसान करनाल के बस्ताडा टोल पर बैठ गए है किसानो का कहना है कि टोल को फ्री कराया जायेगा जब तक उनके किसान नेताओं को नहीं छोड़ा जाता व सूरजमुखी का एमएसपी लागु नहीं किया जाता वह धरने पर बैठे रहेंगे। आंदोलन के प्रमुख नेता राकेश टिकैत शाहबाद में चल रहे किसान धरने के बीच पहुंचे।
अपना कड़ा रुख जाहिर करते हुए टिकैत ने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन नेता गुरनाम सिंह चढूनी को रिहा नहीं करता है तो राष्ट्रीय राजमार्ग को एक बार फिर से बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की लड़ाई अभी शुरू हुई है और मांगें पूरी होने तक जारी रहेगी। टिकैत ने हाल ही में शाहबाद में किसानों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा करते हुए इसे एक चिंताजनक घटना करार दिया जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
शाहबाद पहुंचने के बाद राकेश टिकैत ने कहा कि पहले दिल्ली में हरियाणा-पंजाब के लोगों ने 13 महिने आंदोलन चलाया है। वो आंदोलन खापों और गुरुद्वारों की वजह से सफल हुआ, दूसरा पंजाब की सभी जत्थेबंदियां एक साथ आई। राकेश टिकैत ने किसानों को एकजुटता के साथ रहने का आह्वान किया। किसानों की FIR मांग पर जोर देते हुए टिकैत ने गुरनाम सिंह चढूनी और अन्य नेताओं की रिहाई को MSP की लड़ाई जारी रखने की शर्त के तौर पर जोर दिया। उन्होंने चढूनी की एक क्रांतिकारी और जुझारू नेता के रूप में सराहना की, जिसका अटूट दृढ़ संकल्प किसानों के आंदोलन में सहायक रहा है। टिकैत ने पुष्टि की कि चढूनी पीछे नहीं हटेंगे और संघर्ष अनवरत जारी रहेगा।
जानकारी के मुताबिक, एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, जेजेपी विधायक और शुगरफेड के अध्यक्ष रामकरण कला ने कुरुक्षेत्र में एमएसपी पर सूरजमुखी की खरीद की मांग कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज के खिलाफ अपना कड़ा विरोध व्यक्त किया। इस घटना के विरोध में काला ने किसानों के साथ बर्ताव को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों में असंतोष को उजागर करते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफे की घोषणा की। शाहबाद और आसपास के क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शनों ने व्यापक ध्यान और समर्थन प्राप्त किया है, क्योंकि किसानों की उचित कीमतों की मांग और उनका दृढ़ संकल्प पूरे देश में गूंज रहा है।
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