Haryana News : जेजेपी से गठबंधन क्यों तोड़ना चाहती है बीजेपी...! मोदी मैजिक के कारण जेजेपी से गठबंधन नहीं लग रहा जरूरी
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Haryana News : हरियाणा में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। बीजेपी-जेजेपी दोनों ही पार्टियों लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी हुई है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों की बयानबाजी भी आरंभ हो चुकी है जिससे प्रदेश की सियासत हिली हुई है। लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में BJP- JJP गठबंधन टूट जाएगा? ये सवाल इन दिनों से हरियाणा की राजनीति में सबसे ज्यादा चर्चा में है। इसके पीछे की वजह बीजेपी और जेजेपी की हालिया सक्रियता है।
हालांकि बीजेपी के पास जजपा से गठबंधन तोड़ने की खास वजह भी हैं। बीजेपी के नेता यह मान रहे हैं कि जजपा के साथ लोकसभा चुनाव लड़ने से पार्टी को नुकसान होगा। सभी 10 सीटों बीजेपी के सांसद हैं, ऐसे में यदि गठबंधन में चुनाव होगा तो अपने हिस्से की कुछ सीटें जजपा को देनी होंगी। ऐसा हुआ तो लोकसभा के बाद विधानसभा में फिर भाजपा पर जजपा का दबाव बढ़ेगा।
बीजेपी पर नजर डालें तो पार्टी ने अचानक से दिल्ली से सटे राज्य पर अपना फोकस बढ़ा दिया है. बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक भी हो रही है. वहीं, गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का दौरा हो चुका है और अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी 29 जून को हरियाणा में रैली करेंगे. पहले अंबाला में रैली थी, अब यह रैली जगाधरी में है. विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में बीजेपी और जेजेपी करीब आ गई थीं लेकिन अब जो हालात प्रदेश में हैं उसके मुताबिक, गठबंधन टूटने की प्रबल संभावनाएं हैं
मोदी मैजिक के कारण जेजेपी से गठबंधन नहीं लग रहा जरूरी
हरियाणा BJP के साथ ही पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी यह मान रहा है कि लोकसभा चुनाव में फिर मोदी मैजिक चलेगा। हरियाणा हिंदी बेल्ट है, इसलिए यहां इसकी ज्यादा संभावनाएं हैं। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में इस वजह के कारण पार्टी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की। 2024 में भी पार्टी इसी फार्मूले के साथ ही आगे बढ़ना चाहती है।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। हरियाणा के इतिहास में लंबे समय बाद ऐसा हुआ जब सभी सीटें एक ही पार्टी के खाते में गईं। बीजेपी के साथ सरकार में साझीदार जेजेपी के पास अभी कोई सीट नहीं है। पूर्व में मौजूदा उप मुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला खुद भी हिसार से सांसद रह चुके हैं। ऐसे में यह संभव नहीं है कि पार्टी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी और बीजेपी अपनी ही सीटें जेजेपी को क्यों देना चाहेगी। यह एक बड़ी समस्या बनती जा रही है।
हरियाणा में गठबंधन तोड़ने के लिए BJP अपने ऊपर कोई बात नहीं लेना चाहती, यही कारण है कि वह अभी तक पंजाब फार्मूले पर ही चल रही है। किसान आंदोलन के वक्त पंजाब में ऐसा हुआ था कि भाजपा ने खुद अकाली दल से गठबंधन तोड़ने के बजाय उन्हें ही मजबूर कर दिया। जिसके बाद शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रधान सुखबीर बादल ने खुद 23 साल पुराने गठबंधन को तोड़ दिया। अब अकाली दल फिर गठबंधन चाहता है लेकिन भाजपा उन्हें पास नहीं फटकने दे रही। हरियाणा में भी BJP प्रभारी बिप्लब देब सरकार चलाने के साढ़े तीन साल बाद इसी फार्मूले पर चल रहे हैं।
गठबंधन को लेकर हरियाणा BJP नेताओं रुख इसलिए भी सख्त है क्योंकि जजपा का साथ टूटने के बाद भी सरकार को कोई खतरा नहीं है। इसे ऐसे समझिए कि राज्य में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं। सरकार को बहुमत के लिए 46 सीटें चाहिए। अभी BJP के पास कुल 41 विधायक हैं।
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