Golden Blood: क्या होता है Golden blood, सोने से भी कीमती है जिसकी एक-एक बूंद

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Golden Blood

Golden Blood: मानव शरीर में जब भी ब्लड की बात होती है तो A, B, AB और O ग्रुप  की सबसे ज्यादा चर्चा होती है। दरअसल आमतौर पर हम मानते हैं चार तरह के खून होते हैं, जिसमें A, B, AB और O शामिल है। इसके अलावा इन ब्लड ग्रुप में नेगेटिव और पॉजिटिव की अलग से पहचान होती है। लेकिन क्या आपने किसी ऐसे ब्लड ग्रुप के बारे में सुना है जिसे दुनिया में सबसे दुर्लभ माना जाता है? दुनिया में कुछ लोगों के खून में ऐसा खून, जो काफी यूनिक है। यह Golden Blood  इतना रेयर है कि पूरी दुनिया में सिर्फ 45 लोगों के पास ही यह खून है। तो आज जानते हैं कि इस ब्लड में क्या खास है और क्यों इस ब्लड को इतना खास माना जाता है।

Golden Blood

दुनिया में रेयर है Golden Blood Group 

आज हम  अलग-अलग ब्लड ग्रुप्स के बीच जिस ब्लड ग्रुप की बात कर रहे हैं, वो काफी रेयर है। इसे गोल्डन ब्लड (Golden Blood) कहा जाता है।  कहते हैं कि इस खून की एक बूंद की कीमत भी सोने से महंगी होती है।  इसकी वजह इसकी दुर्लभता है।  अभी तक ये ब्लड ग्रुप दुनिया में रहने वाले सिर्फ और सिर्फ 45 लोगों में पाई गई है। इस वजह से ये काफी कीमती है।  

इस वजह से होता है कुछ लोगो का Golden Blood Group 

दरअसल आपके ब्लड ग्रुप की पहचान रक्त में एंटीबॉडी और एंटीजन द्वारा की जाती है। एंटीबॉडी प्लाज्मा में पाए जाने वाले प्रोटीन होते हैं। वे आपके शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा का हिस्सा हैं। वे रोगाणुओं जैसे विदेशी पदार्थों को पहचानते हैं, और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को सचेत करते हैं, जो उन्हें नष्ट कर देता है। एंटीजन प्रोटीन अणु होते हैं जो लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर पाए जाते हैं। गोल्डन ब्लड ग्रुप या आरएच नल ब्लड ग्रुप (Rh null blood group) में रेड ब्लड सेल (RBC) पर कोई आरएच एंटीजन (प्रोटीन) नहीं होता है। ये ग्रुप उसी शख्स की बॉडी में पाया जाता है जिनका Rh फैक्टर null होता है। अब आप सोच रहे होंगे कि Rh क्या होता है? ये रेड ब्लड सेल्स की सतह पर मौजूद एक तरह का प्रोटीन है।  आम इंसान की बॉडी में ये Rh या तो पॉजिटव होता है या तो नेगेटिव. लेकिन जिसकी बॉडी में गोल्डन ब्लड होता है, उसकी बॉडी का Rh पॉजिटिव होता है ना निगेटिव।

इसलिए दुर्लंभ है Golden Blood की एक एक बूँद

आरबीसी पर एंटीजन की अनुपस्थिति के कारण, आरएच नल ब्लड वाले व्यक्ति को एक यूनिवर्सल डोनर माना जाता है और यह ब्लड आरएच सिस्टम के भीतर दुर्लभ रक्त प्रकार वाले किसी को भी दान किया जा सकता है। यह ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए बेहतर है क्योंकि इसमें कॉमन एंटीजन की कमी होती है और इसे कोई भी व्यक्ति स्वीकार कर सकता है। लेकिन भले ही दुनिया के 45 लोगों के शरीर में ये ब्लड ग्रुप मिला हो, लेकिन इसके डोनर अब भी दुनिया में सिर्फ 9 लोग हैं। मतलब गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले 36 लोग ऐसे हैं जो या तो इस स्थिति में नहीं हैं कि वे अपना ब्लड डोनेट कर सकें, या फिर वे स्वेच्छा से अपना ब्लड डोनेट करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए इस ब्लड ग्रुप के एक बूंद खून की कीमत एक ग्राम सोने से भी ज्यादा है। इसी वजह से इसे गोल्डन ब्लड ग्रुप का नाम दिया गया है।

Golden Blood Group वालों रहता है इन बीमारियों का खतरा

दरअसल जिन लोगों की बॉडी में ये गोल्डन ब्लड होता है, उन्हें हेमोलीटिक एनीमिया, हीमोग्लोबिन का लेवल कम होना जैसी शिकायत हो जाती है।  ऐसे में उन्हें आयरन युक्त चीजों का अधिक सेवन करने को कहा जाता है। वही इनके शरीर में पीलापन और थकान होना, रेड ब्लड सेल्स का कम होना आदि का खतरा हो सकता है। इसके अलावा ऐसे लोगों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यदि मां का आरएच नल है और बच्चे का आरएच-पॉजिटिव ब्लड ग्रुप है, तो गर्भपात का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसे लोगों को सेप्सिस और किडनी फेलियर का भी खतरा अधिक होता है।

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