UPSC Success Story: किसान का बेटा बना IAS अफसर, 7 बार फेल होने के बाद नहीं टूटा हौंसला, बिना कोचिंग क्रैक किया UPSC एग्जाम
UPSC Success Story:यूपीएससी को दुनिया की सबसे मुश्किल परीक्षा में से एक माना जाता है।
UPSC Success Story:यूपीएससी को दुनिया की सबसे मुश्किल परीक्षा में से एक माना जाता है। इस परीक्षा में सफलता पानी हर किसी के बस की बात नहीं है। लेकिन एक किसान के बेटे ने यूपीएससी परीक्षा में 321वीं रैंक हासिल की है। किसान परिवार से संबंध रखने वाले बुद्धि अखिल ने 7 बार फेल होने के बाद हार नहीं मानी 8वीं बार एग्जाम दिया और सफलता हासिल की।
दोपहर का वक्त था... चिलचिलाती गर्मी के बीच सूरज अपनी पूरी तपिश पर था। तेलंगाना के सिद्दीपेट जिले से करीब 17 किलोमीटर दूर कोंडापाका गांव में बुद्धि नरेश अपने खेतों में काम कर रहे थे। तभी, साइड में रखे उनके मोबाइल की घंटी बजी। नरेश ने मोबाइल देखा, तो बड़े बेटे बुद्धि अखिल का फोन था। मिट्टी में सने हाथ धोकर नरेश ने मोबाइल उठाया और कान पर लगाकर जैसे ही हेलो कहा, दूसरी तरफ से आवाज आई- बापू नेनु आईएएस अइया... (बापू मैं आईएएस बन गया हूं)। इतना सुनते ही बुद्धि नरेश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान खिल गई। नरेश तुरंत घर पहुंचे। पत्नी ललिता और छोटे बेटे अजय को खुशखबरी दी, तो पूरा परिवार खुशी में नाचने लगा।
ये कहानी है बुद्धि अखिल की, जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 321वीं रैंक हासिल की है। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है, जब अखिल को देश ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक यूपीएससी में सफलता मिली है। तेलंगाना टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में अखिल को 566वीं रैंक मिली थी। इसके बाद उनकी नियुक्ति दिल्ली पुलिस में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर हुई। हालांकि, अखिल का मकसद था- आईएएस बनना। उन्होंने तय किया कि वो एक बार फिर से कोशिश करेंगे। अखिल ने इसके लिए अपने विभाग से एक साल की छुट्टी ले ली।
ट्रेनिंग के बीच ही निकाला इंटरव्यू की तैयारी का समय
लेकिन, बुद्धि अखिल के हिस्से में अभी और इंतजार लिखा था। 2022 का यूपीएससी रिजल्ट आया, तो अखिल बहुत मामूली अंतर से मेरिट लिस्ट में जगह बनाने से चूक गए। दूसरी तरफ, उन्हें दिल्ली पुलिस में अपनी ट्रेनिंग भी ज्वॉइन करनी थी। इसके बावजूद, अखिल ने हार नहीं मानी और एक बार फिर से परीक्षा की तैयारी में जुट गए। एसीपी की ट्रेनिंग से जो भी वक्त बचता, अखिल उसी में इंटरव्यू की तैयारी करने बैठ जाते। अखिल की मेहनत रंग लाई। 16 अप्रैल को जब यूपीएससी का रिजल्ट घोषित हुआ, तो उनकी रैंक पिछले बार से कहीं ज्यादा बेहतर थी।
बिना कोचिंग के बने आईएएस अधिकारी
अखिल बताते हैं कि आईएएस बनना उनका सपना था और आज ये पूरा हो गया। साल 2018 में वारंगल के काकतीय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद ही अखिल यूपीएससी की तैयारी में जुट गए थे। उनकी ये सफलता इसलिए भी खास है, क्योंकि अखिल ने बिना किसी कोचिंग के इतनी बड़ी रैंक हासिल की है। कोंडापाका में घर पर रहकर ही उन्होंने ऑनलाइन मौजूद कंटेंट से अपने नोट्स तैयार किए। टाइम टेबल के साथ उन्होंने सेल्फ स्टडी पर जोर दिया। अखिल पहली बार 2019 में यूपीएससी की परीक्षा में बैठे और अभी तक वो पांच प्रयास कर चुके हैं। पहले प्रयास में वो प्री तक भी नहीं पहुंच पाए थे। अपने पांच प्रयासों में उन्होंने तीन बार मेंस क्लियर किया। दो बार उन्हें इंटरव्यू में सफलता मिली। और आखिरकार, आईएएस बनने का उनका सपना पूरा हो गया।
7 बार फेल, 8वें प्रयास में क्रैक की यूपीएससी
आपको बता दें कि यूपीएससी का रिजल्ट घोषित होने के बाद से ही सफलता की अलग-अलग कहानियां सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक कहानी सब-इंस्पेक्टर शांथप्पा के. की भी है। शांथप्पा का सेलेक्शन कर्नाटक पुलिस में सब इंस्पेक्टर के तौर पर हो गया था। लेकिन उनका सपना था सिविल सेवा में जाने का। शांथप्पा ने यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन लगातार सात साल तक फेल होते रहे। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। 16 अप्रैल को आए यूपीएससी रिजल्ट में उन्हें आठवें प्रयास में आखिरकार सफलता मिल गई।