DPDP Bill 2023 : पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल को कैबिनेट की मंजूरी, मानसून सत्र में संसद में होगा पेश
- प्राइवेसी पर डाका डालने वालों पर लगेगा 250 करोड़ का जुर्माना!
Khari Khari News :
DPDP Bill 2023 : अब आम लोगों की निजता से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी की सुरक्षा के लिए आज केंद्रीय केबिनेट ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल (DPDP) विधेयक 2023 को मंजूरी दे दी हैं। जानकारी के मुताबिक, बिल संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान पेश किए जाने की संभावना है। केंद्र ने दिसंबर 2019 में संसद में व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 पेश किया। विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास विचार के लिए भेजा गया था।
संयुक्त समिति ने विचार-विमर्श के बाद अध्यक्ष को एक रिपोर्ट सौंपी। हितधारकों और विभिन्न एजेंसियों की प्रतिक्रिया को देखते हुए, विधेयक को अगस्त 2022 में वापस ले लिया गया था। बिल में पिछले ड्राफ्ट के लगभग सभी प्रावधान शामिल हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय ने कंसल्टेंशन के लिए नवंबर 2022 में जारी किया गया था। प्रस्तावित ड्राफ्ट के तहत सरकारी संस्थाओं को पूरी छूट नहीं दी गई है। नए ड्राफ्ट को लाने से पहले सरकार ने 48 सरकार से बाहर के संगठनों और 38 सरकारी संगठनों से सुझाव लिए। कुल 21 हजार 660 सुझाव आए। इनमें से लगभग सभी पर विचार किया गया।
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा प्रोटेक्शन विधेयक 2022 के पुन: प्रस्तुत मसौदे में गैर-कंपनियों से लेकर कंपनियों तक पर 6 प्रकार के दंड का प्रस्ताव किया गया है। व्यक्तिगत डेटा उल्लंघन को रोकने के लिए, मसौदा विधेयक में नियम तोड़ने वाली कंपनी पर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा, व्यक्तिगत डेटा उल्लंघन की स्थिति में बोर्ड और प्रभावित डेटा प्रिंसिपलों को सूचित करने में विफलता और बच्चों के संबंध में अतिरिक्त ओब्लिगेशंस को पूरा न करने पर 200 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
विचार-विमर्श और टिप्पणियों के दौरान उभरे बिंदुओं का गहन अध्ययन किया गया और डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया। ड्राफ्ट में कहा गया है कि इस अधिनियम का उद्देश्य डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के प्रोसेसिंग को इस तरह से प्रदान करना है जो व्यक्तियों के अपने व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के अधिकार और वैध उद्देश्यों के लिए व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने की आवश्यकता दोनों को पहचानता है। 2019 में व्यक्तिगत डेटा प्रोटेक्शन विधेयक का ड्राफ्ट तैयार करने के दौरान, सरकार ने कहा कि सिद्धांतों के संपूर्ण पहलू पर व्यापक रूप से बहस और चर्चा की गई। इनमें व्यक्तियों के अधिकार, व्यक्तिगत डेटा संसाधित करने वाली संस्थाओं के कर्तव्य और नियामक ढांचे सहित अन्य शामिल हैं।
विवाद की स्थिति में डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड फैसला करेगा। नागरिकों को सिविल कोर्ट में जाकर मुआवजे का दावा करने का अधिकार होगा। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो धीरे-धीरे विकसित होंगी। ड्राफ्ट में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह का डेटा शामिल हैं, जिसे बाद में डिजिटाइज किया गया हो। अगर विदेश से भारतीयों की प्रोफाइलिंग की जा रही है या गुड्स और सर्विस दी जा रही हों तो यह उस पर भी लागू होगा। इस बिल के तहत पर्सनल डेटा तभी प्रोसेस हो सकता है, जब इसके लिए सहमति दी गई हो।मोबाइल और इंटरनेट के चलन के बाद से प्राइवेसी की सुरक्षा की जरूरत थी। कई देशों में लोगों के डेटा प्रोटेक्शन को लेकर सख्त कानून तैयार किए जा चुके हैं। भारत में ऐसा कोई कानून फिलहाल नहीं है।
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