सबमरीन देगी चीन को चुनौती, न्यूक्लियर पावर से होगी लैस...

इससे क्यों तिलमिला उठा है चीन -
KHARIKHARI NEWS DESK : चीन भारत समेत दुनिया के कई बड़े देशों के लिए बड़ी परेशानी बनता जा रहा है.. इसी से निपटने के लिए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने नई प्लानिंग बनाई है। दक्षिण चीन सागर से लेकर दुनियाभर में फैले व्यापार में चीन के हस्तक्षेप को लेकर ताकतवर देश यानी (अमेरिका) उस पर नजर बनाए हुए हैं।
जिससे अमेरिकी टेक्नोलॉजी से इंडो-पैसेफिक रीजन पर भी पूरी नजर रखी जाएगी। जिसकी वजह से चीन की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही है..इसी के मद्देनजर त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन ऑकस के तहत ऑस्ट्रेलिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बियां मिलने जा रही हैं जिसके बाद CHINA की बोखलाहट बढ़ती जा रही है..
ऑकस सौदा क्या है:
ऑकस, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच एक त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन है। इसकी घोषणा मार्च 2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने की थी। उस वक्त बाइडेन, तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन नए गठबंधन का विस्तार करने के लिए आभासी रूप से एक साथ दिखाई दिए थे।
जानिए क्या है समझौता :
त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन ऑकस के सौदे के बाद अब चीन तिलमिला उठा है.. अमेरिका और ब्रिटेन के सहयोग से ऑस्ट्रेलिया आठ परमाणु अस्त्र क्षमता से लैस पनडुब्बियां बनाएगा। रक्षा क्षमताओं को अधिक से अधिक साझा करने की अनुमति होगी। तीनों देश अपना ध्यान ऑस्ट्रेलिया के लिए परमाणु-संचालित पनडुब्बियों के विकास पर लगाएंगे।
अगली पीढ़ी के डिजाइन पर आधारित एक 'त्रिपक्षीय रूप से विकसित' :
एसएसएन ऑकस के तहत ब्रिटेन की अगली पीढ़ी के डिजाइन पर आधारित एक 'त्रिपक्षीय रूप से विकसित' पोत जो ब्रिटेन में बनाया जाएगा, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका संयुक्त रूप से तकनीकी सहयोग करेंगे। एक ऑस्ट्रेलियाई रक्षा अधिकारी ने कहा कि परियोजना की लागत 2055 तक 368 बिलियन डॉलर होगी।
चीन के साथ-साथ इन देशों पर भी कसेगा नकेल:
ऑस्ट्रेलिया को 2030 तक तीन अमेरिकी वर्जीनिया क्लास की परमाणु-संचालित पनडुब्बियों को खरीदने की उम्मीद है। 2027 तक अमेरिका अपनी दो पनडुब्बियों को ऑस्ट्रेलिया के तटों पर तैनात करेगा। जिसके चलते ये कई चीजों पर नजर रखने वाला है.. ऐसे में चीन नार्थ कोरिया और रूस के बढ़ते Aggression पर भी नकेल कसी जाएगी।