Kota Students Suicide Case Big Update : कोटा के स्टूडेंट्स ने जान देने के 6 कारणों का किया खुलासा, नाजुक हालात के संकेतों के बारे में जरूर जानिए
Khari Khari News :
Kota Students Suicide Case Big Update : देश में कोटा कोचिंग सिटी के नाम से मशहूर है। जहां कई राज्यों के बच्चे पढ़ाई के लिए कोटा आते है। जहां एक ओर कोटा के स्टूडेंट पढ़ाई में टॉप रहते है। वही दूसरी और यह पढ़ाई का स्ट्रेस उनके लिए मौत का कारण भी बनकर सामने आ रहा है। कोटा में हर साल कोचिंग छात्रों के सुसाइड केस सामने आते है। कोटा में स्टूडेंट्स जो डॉक्टर-इंजीनियर बनने के लिए एजुकेशन सिटी आए थे इस साल अब तक 21 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। कोटा में हो रहे कोचिंग छात्रों के सुसाइड को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ हैं। जिस में कोटा के 400 स्टूडेंट्स ने सुसाइड के 6 बड़े कारण बताए हैं और बताया है कि उन्हें करने से रोका भी जा सकता था।
कोटा नर्सिंग कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर ने बताया कि 400 बच्चों की काउंसलिंग की। इनमें कई ऐसे थे जो खुद सुसाइड करना चाहते थे। इन 400 बच्चों को तीन साल तक ट्रैक किया। जब वे लगातार इनके कॉन्टैक्ट में रहे तो पता चला कि 6 कारण ऐसे थे, जो बच्चों को सुसाइड के लिए मजबूर कर रहे थे। सबसे खास इन बच्चों ने ही सुसाइड से बचने के लिए 6 तरीके भी बताए।
उनका कहना हैं कि ऐसे 3 क्लू हैं, जिनसे स्टूडेंट की टेंडेंसी को समझा जा सकता है। अगर कोचिंग स्टूडेंट में ये क्लू नजर आएं तो सतर्क हो जाइए। ये तीन क्लू हैं वर्बल, नॉन वर्बल और बिहेवियर। इन्हें भांप कर स्टूडेंट को सुसाइड से बचाया जा सकता है।
तीन क्लू
वर्बल क्लू : स्टूडेंट बार-बार खुद को कोस रहा हो। मरने जैसी बातें कर रहा हो। ये कहता हो कि वह किसी काम का नहीं है। दुनिया से परेशान हो चुका है। किसी व्यक्ति, परिवार या संस्था से परेशान हो चुका हो। जीने की इच्छा खत्म होने की बात करता हो। ऐसी बातों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। इसे मजाक में लेकर बिल्कुल अवॉइड न करें।
नॉन वर्बल क्लू : स्टूडेंट इशारों में अपने नकारात्मक विचार जाहिर करता है। जैसे- सोशल मीडिया पर कोई निगेटिव पोस्ट डालता है। निगेटिव स्टेटस लगाता है। डायरी में सुसाइड या जीवन की परेशानियों को लेकर लेख लिखता है। इस तरह के इशारों को भांपना जरूरी है।
बिहेवियर क्लू : जो स्टूडेंट न बोलकर और न लिखकर अपनी बात कहते हैं, उनका बिहेवियर समझने की जरूरत है। स्टूडेंट का बिहेवियर बदल जाता है। जैसे- वह खाना नहीं खा रहा। दोस्तों से नहीं मिल रहा। अकेले रहना चाहता है।
सुसाइड के 6 बड़े कारण
एकेडमिक - कोचिंग इंस्टीट्यूट में पढ़ाई का तनाव होता है। दूसरे शहरों से यहां आए कई स्टूडेंट स्टडी कवर नहीं कर पाते। पढ़ाई में दूसरे बच्चों की तुलना में कमजोर रह जाते हैं। टेस्ट में नंबर कम लाते हैं। एग्जाम में सलेक्शन नहीं हो पाता। इससे सुसाइड टेंडेसी बढ़ती है।
फिजिकल- कोचिंग लेने वाले अधिकांश स्टूडेंट की उम्र 16 से 18 साल होती है। इस उम्र में शरीर और सोच में बदलाव आते हैं। बच्चा इन्हें समझ नहीं पाता। कोटा में वह अकेला हो जाता है। उसे समझाने वाला भी कोई नहीं रहता। इसकी वजह से तनाव बढ़ता है।
साइकोलॉजिकल- कुछ बच्चे मानसिक तनाव ले लेते हैं। इसका कारण प्रेम प्रसंग हो सकता है, परिवार की ओर से बच्चे पर दबाव या कोचिंग का दबाव हो सकता है।
फैमिली- 16-17 साल माता-पिता और परिवार के साथ रहा बच्चा अचानक अकेला हो जाता है। उस पर पढ़ाई का भारी प्रेशर आ जाता है। परिवार से इमोशनली अटैच कुछ बच्चे इस दूरी को झेल नहीं पाते। इसका असर पढ़ाई पर और फिर दिमाग पर पड़ता है। परिवार से दूर रहकर न खाना अच्छा मिलता है, न केयर मिलती है।
मेजर लाइफ इवेंट- बच्चे के जीवन में अगर ऐसी कोई घटना घटी हो, जिसने उसके दिल दिमाग पर गहरा असर डाला हो, तो स्थिति खतरनाक हो जाती है। या फिर अचानक कुछ ऐसा हो जाए जो बच्चे के दिमाग पर गहरा असर डाले। जैसे- किसी खास सदस्य से दूर हो जाना, मौत या ब्रेकअप हो जाना। ये हालात बच्चे को दिमागी तौर पर तोड़ देते हैं।
सोशल इकोनॉमिक- कोचिंग स्टूडेंट्स के पेरेंट्स आर्थिक रूप से संपन्न हों, जरूरी नहीं। सामान्य या गरीब वर्ग के बच्चे कोटा में सम्पन्न परिवारों के बच्चों को रहन-सहन देखते हैं। वे खुद को आर्थिक रूप से कमजोर समझने लगते हैं। यह तनाव का कारण बन जाता है।
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