Success Story: कभी 10 रुपए के लिए था मोहताज, अब देता है। IAS-IPS को ट्रेनिंग

- 10 रुपए से कोच बनने तक का सफर
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Success Story

Khari Khari, News Desk(Neha Dhiman): Success Story: मध्य प्रदेश के स्लम एरिया में जन्मा अमन सिंह राजपूत एक गोल्फ कोच है। अमन सिंह राजपूत कभी गोल्फ क्लब में गोल्फ किट ढोया करता था। आज IAS-IPS, डॉक्टर, इंजीनियर, अधिकारी, नेताओं को गोल्फ खेलना सिखाता है। अमन सिंह राजपूत की उम्र महज 22 साल है। 

मां की मौत के बाद पापा ने दूसरी शादी कर ली, लेकिन मेरी परवरिश दादी ने की। मेरे जन्म के समय घर में इतनी गरीबी थी कि दूध भी मुश्किल से नसीब हो पाता था। 

10 रुपए से कोच बनने तक का सफर

2007-08 की बात है दादा की नौकरी चली गयी। पापा का काम भी इतना अच्छा नहीं था, तो घर में पैसों की दिक्कत थी।

पापा उत्तर प्रदेश के ललितपुर में शादी-ब्याह में हलवाई का काम करते हैं। पापा के तीन भाई हैं, एक चाचा हम लोगों के साथ ही स्लम में रहते थे। घर चलाने के लिए वो बगल के गोल्फ ग्राउंड में गोल्फ प्लेयर्स का गोल्फ किट ढोने का काम करते थे मैं भी उनके साथ जाने लगा। मुझे एक दिन के 10 रुपए मिलते थे।

बच्चों के साथ चोरियां करना

गोल्फर्स की किट उठाते-उठाते गोल्फ प्लेयर बन गया झुग्गी में रहने वाला अमन,  लोकल टूर्नामेंट में 3 बार जीता है गोल्ड | Aman, a slum dweller, became a  golfer while ...

गोल्फ ग्राउंड बहुत बड़ा होता है, वहां गोल्फर गेंद को हिट करते-करते काफी दूर चले जाते हैं। 10 किलो का गोल्फ किट कंधे पर रखकर काफी समय तक गोल्फर के पीछे-पीछे चलता रहता था। कमर में दर्द हो जाता था। मेरी उम्र उस वक्त महज 14 साल थी। पैसों की जरूरत की वजह से गोल्फ किट ढोना पड़ता था।

मैं बुरी संगति में पड़ गया। गोल्फ किट उठाने से जो 10 रुपए मिलते थे, वो मेरे लिए कम पड़ने लगे। इसलिए स्लम के बच्चों के साथ में छोटी-मोटी चोरियां करने लगा।

ये बात दादी-पापा को पता चलते ही उन्होंने मेरी खूब पिटाई की। उन्होंने समझाया कि अच्छे लोगों के साथ रहोगे तो ही अच्छे बनोगे। मैं जब गोल्फ क्लब आने लगा तो देखा यहां सिर्फ एलीट लोग ही आते हैं।

गोल्फ खेलने की शुरुआत 

IAS, IPS, डॉक्टर, इंजीनियर, जर्नलिस्ट… यही सब गोल्फ खेलने आते हैं। वैसे भी गोल्फ को रईसों का खेल कहा जाता है। 2017-18 से मैंने गोल्फ स्टिक लेकर खेलना शुरू किया तो लोग अलग  नजरों से देखने लगे।

धीरे-धीरे इन्हीं लोगों को लगा कि मैं एक अच्छा प्लेयर बन सकता हूं। इधर बारहवीं के बाद मैंने ग्रेजुएशन में एडमिशन लिया। भोपाल के एक अधिकारी ने मुझे गोल्फ खेलने का हौसला दिया। धीरे-धीरे मेरी दिलचस्पी गोल्फ की तरफ बढ़ने लगी और खेलते-खेलते इतना एक्सपर्ट हो गया कि 2020 में मुझे गोल्फ कोच का सर्टिफिकेट मिल गया।

2020, 2021 और 2022 में मैंने BHEL गोल्फ ओपन टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीते।अब नेशनल लेवल  के लिए तैयारी कर रहा हूं। अब मुझे बतौर कोच एक घंटे के 700 रुपए मिलते हैं। अब में बड़े-बड़े IAS, IPS अधिकारी, डॉक्टर, इंजीनियर को गोल्फ की ट्रेनिंग देने जाता हूं।

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