IAS Rishita Gupta: कैंसर से पिता की मौत के बाद भी नहीं मानी हार, UPSC क्रैक कर बनीं IAS अफसर, पढ़ें संघर्ष भरी कहानी
IAS Rishita Gupta: हर साल लाखों युवा यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होते हैं लेकिन कुछ ही इस परीक्षा को पास कर सफलता हासिल करत पाते हैं। आज हम आपको ऐसी आईएएस अफसर का बारे में बताने जा रहे हैं जो लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है। दुखों का पहाड़ टुटने के बाद भी हार नहीं मानी और अपने सपने को साकार कर दिखाया।
मेडिकल फील्ड में बनाना चाहती थीं करियर
रिशिता गुप्ता के मन में अपने शुरुआती दिनों से ही मेडिकल फील्ड में अपना करियर बनाने की इच्छा थी। यह एक ऐसा विजन था जिसे उन्होंने संजोया था, ऐसा लगता था कि यह उसके भविष्य को सेप देने के लिए तय था। फिर भी, भाग्य ने उनके जीवन की यात्रा के लिए एक अलग कहानी लिखी थी।
12वीं क्लास के गलियारों में घूमने वाली स्टूडेंट के पिता जब उसे छोड़कर चले गए, तो रिशिता की जिंदगी में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। इसने ट्रेजडी ने उनकी एजुकेशल एक्टिविटीज पर ग्रहण लगा दिया, जिससे एकाग्रता एक दूर का सपना बन गई। अपने पिता के मार्गदर्शन के अभाव में, उसने खुद को मेडिकल सीट के लिए जरूरी रैंक हासिल करने में असमर्थ पाया।
ग्रेजुएशन में की इसकी पढ़ाई
स्कूल के दिनों से संजोया गया सफेद कोट पहनने का सपना दुःख के गमगीन रंगों के बीच बैकग्राउंड में धूमिल होता नजर आ रहा था। असफलताओं के बावजूद, रिशिता ने निराशा के सामने झुकने से इनकार कर दिया। विपरीत परिस्थितियों के बीच आंतरिक संकल्प को जगाते हुए, उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए इंग्लिश ऑनर्स को चुना, एक नए एकेडमिक पथ पर कदम बढ़ाया। उनके समर्पण और मेहनत की कोई सीमा नहीं थी, जब उन्होंने ऑनर्स के साथ ग्रेजुएशन की उपाधि प्राप्त की तो उन्हें शानदार सफलता मिली।
2018 में यूपीएससी क्रैक
अपने जीवन में आए बदलावों से विचलित हुए बिना, रिशिता ने सिविल सेवा में राह बनाने का संकल्प लिया। अटूट दृढ़ संकल्प के साथ, उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा के हर पहलू का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करते हुए खुद को तैयारी में डुबो दिया। उनकी मेहनत रंग लाई जब उन्होंने 2018 में अपने पहले ही अटेंप्ट में यूपीएससी सीएसई में शानदार AIR-18 हासिल की।
क्रेडिट माता-पिता को
वह अपनी उपलब्धियों का क्रेडिट अपने माता-पिता द्वारा किए गए पालन-पोषण के माहौल को देती हैं, जिनका अटूट समर्थन उनके प्रयासों की आधारशिला रहा।
एक्सीलेंस की खोज में, रिशिता ने एक मेथोडिकल अप्रोच को अपनाया, नोट्स तैयार किए, खुद डमी टेस्ट दिए और साथी कैंडिडेट्स की गलतियों से सीखा। उन्होंने क्वांटिटी से ज्यादा क्वालिटी के मंत्र को फॉलो किया, कुछ चुनिंदा संसाधनों में गहराई से उतरती थीं, लगातार रिवीजन और अपडेशन से महारत हासिल कर ली।